हर साल दुनिया में उपयोग में आने वाला 80 फीसदी प्लास्टिक बहकर समुद्र में पहुंच जाता है। प्लास्टिक की बोतलों को गलकर समाप्त होने में सैकड़ों साल लगते हैं। लेकिन आंद्रेयास फ्रोएजे का कहना है कि बेकार सा लगता यह कूड़ा मूल्यवान संसाधन हो सकता है।
इससे घर का निर्माण कर पर्यावरण को बचाया जा सकता है। घर बनाने के लिए प्लास्टिक की खाली बोतलों को बालू या राख से भरकर एक दूसरे के ऊपर जमा कर दिया जाता है और फिर गारे से चुन दिया जाता है। इस ढांचे को नाइलोन की रस्सी से पक्का किया जाता है ताकि वह गिरे नहीं।
आंद्रेयास फ्रोएजे प्रशिक्षित राजमिस्त्री हैं और इस तरह से वह पर्यावरण की रक्षा करना चाहते हैं1 साथ ही गरीबी में रहने वाले लोगों को घर मुहैयार कराना चाहते हैं।
इन्होंने इको-टेक नाम की एक कंपनी बनाई है। इनकी कंपनी दुनिया भर में प्लास्टिक के करीब 50 मकान बनाए चुकी है। वे 7.3 की तीव्रता वाले भूकंप को भी झेलने में भी सक्षम है। उन्होंने दावा किया है कि प्लास्टिक की बोतल सामान्य ईंट से ज्यादा बोझ और धक्का सह सकती है।
है न कमाल..........................................
दीपक
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