Sunday, 31 October 2010

इंदिरा गाँधी के मृत्यु दिवस पर विशेष



उड़ीसा में जबरदस्त चुनाव प्रचार के बाद इंदिरा गांधी 30 अक्टूबर की शाम दिल्ली पहुंची थीं। आमतौर पर जब वो दिल्ली में रहती थीं तो उनके घर एक सफदरजंग रोड पर जनता दरबार लगाया जाता था। लेकिन ये भी एक अघोषित नियम था कि अगर इंदिरा दूसरे शहर के दौरे से देर शाम घर पहुंचेंगी तो अगले दिन जनता दरबार नहीं होगा। 30 तारीख की शाम को भी इंदिरा से कहा गया कि वो अगले दिन सुबह के कार्यक्रम रद्द कर दें। लेकिन इंदिरा ने मना कर दिया। वो आइरिश फिल्म डायरेक्टर पीटर उस्तीनोव को मुलाकात का वक्त दे चुकी थीं।

एसीपी दिनेश चंद्र भट्ट बताते हैं कि जैसे एक नॉर्मल तरीका होता है। सुबह उठकर आप जनता से मिलते हैं तो उस दिन एक बिजी शिड्यूल था। उनके इंटरव्यू के लिए बाहर से एक टीम आई हुई थी। पीटर उस्तीनोव आए। उन लोगों ने अपना सर्वे किया। ये देखा कि खुली जगह पर इंटरव्यू करना चाहिए। वहां दीवाली के पटाखे पड़े हुए थे। उसको साफ-वाफ करवा कर वैसा इंतजाम करवाया गया तो उसमें कुछ वक्त लग रहा था। 
दरअसल पीटर इंदिरा गांधी पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहे थे। इस बीच सुबह के आठ बजे इंदिरा गांधी के निजी सचिव आर के धवन एक सफदरजंग रोड पहुंच चुके थे। धवन जब इंदिरा गांधी के कमरे में गए तो वो अपना मेकअप करा रही थीं। इंदिरा ने पलटकर उन्हें देखा। दीवाली के पटाखों को लेकर थोड़ी नाराजगी भी दिखाई और फिर अपना मेकअप पूरा कराने में लग गईं।
अब तक घड़ी ने 9 बजा दिए थे। लॉन भी साफ हो चुका था और इंटरव्यू के लिए सारी तैयारियां भी पूरी थीं। चंद मिनटों में ही इंदिरा एक अकबर रोड की तरफ चल पड़ीं। यहीं पर पेंट्री के पास मौजूद था हेड कॉन्सटेबल नारायण सिंह। नारायण सिंह की ड्यूटी आइसोलेशन कैडर में होती थी। साढ़े सात से लेकर 8.45 तक पोर्च में ड्यूटी करने के बाद वो कुछ देर पहले ही पेंट्री के पास आकर खड़ा हुआ था। इंदिरा को सामने से आते देख उसने अपनी घड़ी देखी। वक्त हुआ था 9 बजकर 05 मिनट। आर के धवन भी उनके पीछे-पीछे चल रहे थे। दूरी करीब तीन से चार फीट रही होगी। तभी वहां से एक वेटर गुजरा। उसके हाथ में एक कप और प्लेट थी। वेटर को देखकर इंदिरा थोड़ा ठिठकीं। पूछा कि ये कहां लेकर जा रहे हो। उसने जवाब दिया इंटरव्यू के दौरान आइरिश डायरेक्टर एक-टी सेट टेबल पर रखना चाहते हैं। इंदिरा ने उस वेटर को तुरंत कोई दूसरा और अच्छा टी-सेट लेकर आने को कहा। ये कहते हुए ही इंदिरा आगे की ओर बढ़ चलीं। ड्यूटी पर तैनात हेड कॉन्सटेबल नारायण सिंह के साथ छाता लेकर उनके साथ हो लिया।
तेज कदमों से चलते हुए इंदिरा उस गेट से करीब 11 फीट दूर पहुंच गई थीं जो एक सफदरजंग रोड को एक अकबर रोड से जोड़ता है। नारायण सिंह ने देखा कि गेट के पास सब इंस्पेक्टर बेअंत सिंह तैनात था। ठीक बगल में बने संतरी बूथ में कॉन्सटेबल सतवंत सिंह अपनी स्टेनगन के साथ मुस्तैद खड़ा था।
आगे बढ़ते हुए इंदिरा गांधी संतरी बूथ के पास पहुंची। बेअंत और सतवंत को हाथ जोड़ते हुए इंदिरा ने खुद कहा-नमस्ते। उन्होंने क्या जवाब दिया ये शायद किसी को नहीं पता लेकिन बेअंत सिंह ने अचानक अपने दाईं तरफ से .38 बोर की सरकारी रिवॉल्वर निकाली और इंदिरा गांधी पर एक गोली दाग दी। आसपास के लोग भौचक्के रह गए। सेकेंड के अंतर में बेअंत सिंह ने दो और गोलियां इंदिरा के पेट में उतार दीं। तीन गोलियों ने इंदिरा गांधी को जमीन पर झुका दिया। उनके मुंह से एक ही बात निकली-ये क्या कर रहे हो। इस बात का भी बेअंत ने क्या जवाब दिया ये शायद किसी को नहीं पता।
लेकिन तभी संतरी बूथ पर खड़े सतवंत की स्टेनगन भी इंदिरा गांधी की तरफ घूम गई। जमीन पर नीचे गिरती हुई इंदिरा गांधी पर कॉन्सटेबल सतवंत सिंह ने एक के बाद एक गोलियां दागनी शुरु कीं। लगभग हर सेकेंड के साथ एक गोली। एक मिनट से कम वक्त में सतवंत ने अपनी स्टेन गन की पूरी मैगजीन इंदिरा गांधी पर खाली कर दी। स्टेनगन की तीस गोलियों ने इंदिरा के शरीर को भूनकर रख दिया।
आर के धवन बताते हैं कि उस वक्त भी मैं उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा था। इंदिरा जी भी नीचे देख रही थीं। मैं भी नीचे देखकर चल रहा था। बात कर रहे थे। जैसे ही सिर उठाया तो देखा बेअंत सिंह जो गेट पर था उसने अपनी रिवॉल्वर से गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गोलियां चलनी शुरू हुईं तो इंदिरा जी उसी वक्त जमीन पर गिर गईं। तभी सतवंत सिंह ने गोलियों की बौझार शुरु कर दी। जब वो दृश्य मेरे सामने आता है तो दिमाग पागल हो जाता है।

मेरी ओर से इंदिरा गाँधी को श्रद्धांजलि..........................................................    


दीपक 

अजब गजब

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक प्राथमिक स्कूल ऐसा भी है जो कब्रिस्तान में चलता है। यहां जब भी शव को दफनाने के लिए लाया जाता है तो स्कूल में छुट्टी कर दी जाती है। समाचार पत्र 'द न्यूज इंटरनेशनल' में मंगलवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक स्कूल में शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं है। विद्यार्थियों को जब कभी प्यास लगती है तो वे नजदीक घरों में जाकर पानी पीते हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी नसीम अख्तर ने बताया कि सरकारी एम.जी. बालिका प्राथमिक विद्यालय को जमीन मुहैया नहीं हो सकी है, जहां इसे बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि यहां जब भी कोई शव दफनाने के लिए लाया जाता है तो हमें विद्यार्थियों को छुट्टी देनी पड़ती है।




दीपक 

Saturday, 30 October 2010

बुजुर्ग है या जवान...................????????????

स्कायड्राइविंग का नाम सुनते ही पसीना छुट जाता है, लेकिन 97 वर्षीय ज्योर्ज मोयसे को रोमांच से खेलना बहुत पसंद है | उनकी उम्र पर ना जाएँ, क्योंकि वे अपने पोते एडवर्ड ब्रिवर (43 वर्ष), के साथ स्काईड्राइविंग करते है | उन्होंने 10,000 फीट से छलांग लगाई है और पहले 5000 फीट तक 120 मिल प्रति घंटा का दबाव सहन किया है |      


दीपक 

Wednesday, 27 October 2010

बुजुर्ग है या जवान...................????????????


उनकी उम्र 100 साल है | वे पिछले 60 सालो से प्रक्टिस कर रहे है | उन्होंने 18000 से ज्यादा प्रसव करे है | उनको प्यार से लोग पापा डॉक कहते है  | ये है डॉ. वाल्टर वाट्सन | अमेरिका के जार्जिया प्रान्त के औगुस्ता में रहने वाले डॉ. वाट्सन दुनिया  के सबसे  बुजुर्ग डॉक्टर माने जाते है | उनकी एक मरीज है जिनका नाम साब्रा, जिनके घर के  17  सदस्यों के वाट्सन ने किये है | उनकी (साब्रा) उम्र  77 साल  है |


दीपक     

Tuesday, 26 October 2010

बुजुर्ग है या जवान...................????????????



माना जाता है कि ज्योर्जिया के सुदूर गांव में रहने वाली एंटीस क्विचावा दुनियाँ कि सबसे अथिक उम्र कि जीवित महिला है | इनका जन्म 8 जुलाई 1880 में हुआ था और इस तरह से वे अब 130 वर्ष की है | वे पूरी तरह से निरक्षर हैं लेकिन 85 वर्ष की उम्र तक सक्रिय रूप से चाय के बागानों से पत्तियां तोड़ने का काम करती रही | वे अपने 40 वर्षीय पडपोते के साथ रहती है |


दीपक 

Monday, 25 October 2010

जोक्स

१) नवविवाहित जोंडा जब हनीमून मनाने के लिए हिल स्टेशन के एक होटल में पंहुचा तो मैनजेर ने दूल्हे को देखते ही 
   उसका नाम रजिस्टर में लिख दिया।
   दुल्हन ने खुशी के मारे मैनेजर से पूछा- क्या मेरे पति इतने मशहूर है कि आपकों उनका नाम-पता पूछने की जरूरत ही नही 
   पडी बात असल में यह है देवीजी मैनेजर ने कहा-आपके पति हमारे होटल में हर वर्ष हनीमून मनाने आते है।
२) संता- कल पडोसन मेरे सपने में आई थी।
    पत्नी- अकेली आई होगी।
    संता- तुम्हे कैसे पता।
    पत्नी- उसका पति तो मेरे सपनों में आया था।
३) बंता अपने मित्र से बोला , मेरी पत्नी को मेरा कितना दर्द है।
    रात को मैने उससे कहा कि गर्म, पानी कर दो उसने तुंरत गर्म पानी कर दिया।
    तो क्या हुआ पर तुमने उसे गर्म पानी करने की तकलीफ क्यों दी। इसलिए कि मैं ठंडे पानी से बरतन नहीं धो सकता।
४) पति महोदय उदास बैठे थे लेकिन पत्नी अपनी ही हांके जा रही थी।
    अचानक पत्नी ने पूछा- अच्छा यह तो बताओं कि वह कौन सी चीज है, जो मर्दो को तो पसंद है पर औरतों को नही।
    खामोशी पति ने गहरी सांस लेते हुए कहा।

    कौन कहता है की गम को भुलाने की दावा शराब होती है, जोक्स पढिये और गम भूल जाईये |   

  

दीपक 

Sunday, 24 October 2010

अजब गजब


बस में ही क्लास - क्या किसी बस में बच्चो को पढाया जा सकता है ????????? बिलकुल............. हाल ही कार्नवाल (इंग्लैंड) स्थित एक स्कूल की ओर से अनोखी शुरुआत की गयी, जिसमे एक डबल डेकर बस में बच्चो की क्लासेस लि जाती है | स्कूल के पमुख ये मानते है की इस तरह से दो फायेदे होंगे | एक तो ये आपको खुला वातावरण मिलेगा साथ ही बच्चो को बस में पढ़ना लिखना अच्छा लगता है जिससे उन्हें पढाई बोझ नहीं लगती | और दूसरा इससे स्कूल मेंनेजमेंट का खर्चा भी बहुत कम हो जाता है | बच्चो को नए प्रयोग अच्छे लगते है | ऐसे में उन्हें ये प्रयोग अच्छा लगेगा ऐसा स्कूल मेंनेजमेंट का मानना है |



दीपक  

Saturday, 23 October 2010

क्या बात है.......................गजब






भारत के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी अपने नए घर में जाने कि तैयारी कर रहे है | उनका मकान किसी अजूबे से कम नहीं है | साउथ मुंबई में उनका 27 मंजिला आलीशान घर "एंटिलिया" बनकर तैयार है | अपने पुराने घर को छोड़कर वे जल्द ही नए घर में शिफ्ट होंगे (संभवतः 28 अक्टूबर को) | इस घर की कीमत लगभग 2 बिलियन डालर अंकी जा रही है | जबकि रिलायंस  इंडस्ट्रिज का कहना है कि घर कि लगत 50-70 मिलीयन डालर है | 


कैसा है -
मुंबई के अपार्टमेंट पर बने इस लग्जरी हाउस को बनाने में लगभग सात साल लगे | इसके टॉप फ्लोर पर तीन हेलीपेड, एक स्विमिंग पुल, एक हेल्थ क्लब, एक सलून, और एक मिनी थियेटर बनाया गया है | इसमें शुरू के 6 मालो में 570 फीट के स्टैंड पर बड़े ग्लास टावर का इस्लेमाल हुआ है | एक गेरेज है जिसमे १६० कारें एक साथ पार्क की जा सकती है | घर में नई एलिवेटर्स  बनाया गया है | एटलंटिक सागर के द्वीप के नाम पर बना यह दुनियाँ की पहली बिलियन डालर ईमारत बन गयी है |


देखा पैसे की ताकत......................................................जिसके पास है वह कुछ भी कर सकता है................



दीपक

Friday, 22 October 2010

फैशन टिप्स

पिछले भाग का शेष.......................................................



विंटरविअर में स्टाइलिश और अच्छा दिखने के लिए कार्डीगन के अलावा स्लीवलैस जैकेट्स को इस्तेमाल किया जा सकता है | कैमल स्कर्ट्स के साथ जैकेट या जम्पर पहनने पर आप दूसरो से अलग दिखेंगी | 


विंटरवियर्स पहनते समय स्कार्फ और कैप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है | जूते और लैदर बैग का इस्तेमाल करे तो और अच्छा लगेगा |     










दीपक 

Wednesday, 20 October 2010

फैशन टिप्स

पिछले भाग का शेष.......................................................













लम्बे कार्डिगन को लेंगिक्स या काला स्टाकिंग्स के साथ पहना जा सकता है | इसके अलावा जींस भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है |   





अन्य फैशन टिप्स - दिल्ली में भी नाइटलाइफ का कल्चर बढ़ रहा है। यही वजह है कि फैशन की दुनिया भी इसमें अहम भूमिका निभा रही है। युवाओं को नाइटलाइफ इतनी भा रही है कि फैशन डिजाइनर भी इसे अपनी थीम में शामिल करने पर मजबूर हो गए हैं। हाल ही में होटल अशोक के एफ-बार एंड लाउंज में कुछ नए डिजाइनरों ने अपनी कलेक्शन उतारी। दीपक सिंह, गुरविंदर अरोड़ा, प्रज्ञा सेमोर और वाणी ग्रोवर सभी की कलेक्शन अपने आपमें बेहतरीन थीं। 

पहले बात करते हैं दीपक सिंह के डिजाइनर परिधानों की। दीपक ने अपनी कलेक्शन में नाइटलाइफ को थीम रखा। उनका मानना है कि आज के युवाओं के लिए दिन से ज्यादा रात अपनी होती है। दिन में तो वह दफ्तर में होते हैं लेकिन रात का समय उनका अपना होता है जिसमें वह खूब मौज-मस्ती करना चाहते हैं। इसी तर्ज पर मस्ती के मूड को ध्यान में रखते हुए उन्होंने खास फीमेल कलेक्शन निकाला। माइक्रो मिनी को छोड़ उन्होंने नीलेंथ स्कर्ट पर ज्यादा फोकस किया ताकि पहनते वक्त ज्यादा सोचना न पड़े। रंगों में उन्होंने गाढ़ा नीला, भूरा, हरा और सुर्ख लाल का इस्तेमाल खूब किया है। काले रंग का प्रयोग भी उनकी कलेक्शन में बेहतरीन लगा जिसमें हाथ से की गई हल्की एंब्रोएडरी थी । गुरविंदर के कलेक्शन को देखें तो इनकी दो थीम थीं। एक कफतान जो कि दक्षिण अरेबिया के फैब्रिक से अधिक प्रभावित थी। इसमें सिल्क और नेट का प्रयोग अधिक दिखा। दूसरा कलेक्शन मेन और वुमेन दोनों के लिए निकाला जिसमें लड़कियों के लिए मिनी स्कर्ट, केप्री, प्रिंटेड टॉप शामिल थे। वहीं लड़कों के लिए चेक शर्ट, ट्राउजर्स आदि को शामिल किया। यह पूरा फैब्रिक सिल्क में था। कफतान थीम में जहाँ गाढ़े रंगों का प्रयोग था जैसे महरून, गाढ़ा नीला और नारंगी आदि। वहीं सूती में इन्होंने सभी हल्के रंगों का इस्तेमाल किया, जैसे हलका गुलाबी, नीला, सफेद। आमतौर पर इनके कलेक्शन में सफेद रंग को बेस बनाया गया। फिर उस पर लाल या फिर नीले रंग की स्ट्राइप्स या फिर चेक का इस्तेमाल हुआ। वहीं प्रज्ञा सेमोर ने अपनी कलेक्शन में भारतीय और पश्चिमी दोनों ही पोशाकों का मेल दिखाया है। उनका पहला राउंड भारतीय परिधानों पर केंद्रित था जिनमें साड़ियों की एक से एक बेहतरीन कलेक्शन थी। खासियत यह थी कि सभी साड़ी कंट्रास्ट कलर्स में थीं, जैसे साड़ी का रंग यदि गुलाबी है तो ब्लाउज का रंग क्रीम है। इसी तरह पल्लू का रंग यदि हरा है तो चोली महरून रंग की। चोलियाँ सभी पश्चिमी टच लिए हुई थीं। कहीं हॉल्टर नेक था तो किसी नेट की साड़ी पर बनारसी बॉर्डर। वहीं नेट पर गोटा पत्ती वर्क का भी बेहतरीन मेल था। नेट के साथ जॉर्जट का मेल अनोखा था। वेस्टर्न आउटफिट में शॉर्ट स्कर्ट, नी लेंथ स्कर्ट और उस पर कलियों वाला कोट खूब जँच रहा था।



इस कलेक्शन की शुरूआती रेंज -
नाइटलाइफ थीम की रेंज शुरू है 2500 से 15 हजार रुपए के बीच।
गुरविंदर का कफतान की कीमत है 5 हजार रुपए से। 
प्रज्ञा ने भारतीय पोशाक की कीमत 35 हजार रुपए से शुरू की, वहीं पश्चिमी पोशाक 10 हजार रुपए से शुरू।








आगे और भी है........................................








दीपक 

Tuesday, 19 October 2010

फैशन टिप्स





पिछले भाग का शेष.......................................................





कार्डिगन के नीचे लाँग टाप ही पहने | लाँग टाप पहनने पर आप कार्डीगन को ओपन स्टाइल में रख सकते है | ये आपको अच्छा लुक देगी | एक दूसरे से अपोजिट टॉप और कार्डिगन पहने | ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि टॉप सादा हो तो कार्डिगन डीजाइनदार हो और अगर टॉप डीजाइनदार हो तो कार्डिगन सादा पहने | 


लम्बे कार्डीगन स्टाइलिश दिखने के साथ आपको गर्म भी रखेंगी |






आगे और भी है........................................






दीपक 

फैशन टिप्स




सर्दियाँ आने वाली है ऐसे में आप कुछ चीजो ध्यान रख कर आप दूसरों से अलग दिख सकती है -


१) छोटी या मिडल लम्बाई के कार्डीगन के बजाय लम्बे कार्डीगन का इस्तेमाल कर सकते है |
२) सादा कार्डीगन की बजाय फंकी और पैटर्न या अच्छी डिजाइन का कार्डीगन पहने |   


आगे और भी है................................................


दीपक

Sunday, 17 October 2010

दशहरे पर विशेष




भगवान श्रीराम की लंकाविजय के पर्व के रूप में विजयादशमी पर्व के प्रति भारतीयों की विशेष आस्था रही है। यह विजय का श्रेष्ठ अवसर है। इस बार दशहरे पर स्वराशिस्थ गुरु एवं शुक्र की वजह से यह मुहूर्त कई दृष्टि से उपयोगी और हितप्रद है। रामायण के अनुसार आश्विन शुक्ल दशमी लंकापति के परांगमुख होने का दिवस है। उस समय रावण के कार्यो से देवता, ऋषि-मुनि एवं मानव सभी त्रस्त हो गए थे। तब से लेकर आज तक प्रतीकात्मक रूप से दशहरे पर रावण दहन किया जाता है। महाभागवत या देवीपुराण में कहा गया है कि शक्ति संचय के लिए श्रीराम ने अपराजिता या विजया देवी का पूजन किया अत: इसे विजयादशमी कहते हैं। यह पर्व आसुरी शक्तियों के उच्छेदन के रूप में मनाया जाता है। यह नवरात्र में अर्जित शक्ति के प्रदर्शन का उचित अवसर भी है। इससे इहलोक व परलोक में मनवांछित संपदाएं और सफलताएं मिलती हैं ऐहिकं यन्मनोùभीष्टं यच्च पारत्रिके तथा। सम्पदं लभते सर्वा मत्प्रसादात्सुरोत्तम।। 

(महाभागवत 46, 5)
पूर्वकाल में राजाओं ने इस दिन को युद्ध के लिए प्रयाण और आक्रमण के श्रेष्ठ, निष्फल नहीं जाने वाले दिवस के रूप में अपनाया था। इसीलिए ज्योतिर्विदों ने इसे विजयप्रद दिवस के रूप में मान्यता दी है। ऐसे में इस दिवस को पुराणकारों ने भी श्रीराम की लंकापति पर विजय के प्रसंग से जोड़ा। अन्यत्र यह भी कहा गया है कि दशमी पर श्रवण नक्षत्र में श्रीराम ने लंका के लिए प्रयाण किया था। इसी आधार पर श्रवण नक्षत्र में योग-यात्रा और प्रयाण के लिए प्रस्थान करने की परंपरा की शुरुआत हुई।

प्रशस्त मुहूर्त और योग -
ज्योतिषीय परंपराओं में इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना गया है। यह नवीन कार्यारंभ और विद्यारंभ करने का प्रशस्त पर्व है। किसी भी प्रतिस्पर्धा, साक्षात्कार के लिए इस दिन से आरंभ की गई तैयारी व्यक्ति के लिए लाभप्रद होती है। अपने नामानुसार ही यह विजय का मुहूर्त है। इस दिन वाणिज्य-व्यापार, खरीद-फरोख्त, रूप-श्रंगार, रिश्तेदारी आदि भी शुभ होती है। ज्योतिर्निबंध में ‘कालोत्तर’ के संदर्भ से कहा गया है कि आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी पूरे दिन सभी राशि वालों के लिए यात्रा की दृष्टि से शुभ और विजय लक्षण के रूप में ज्ञातव्य है 

आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां सर्वराशिषु। सायंकाले शुभा यात्रा दिवा वा विजयक्षणो। 

यही मत लल्लाचार्य के रत्नकोश का है, जहां यह भी कहा गया है कि इस दिन की संध्या और किंचित तारोदय की बेला में विजय संज्ञक मुहूर्त होता है। यह सर्वकार्य सिद्ध मुहूर्त के रूप में माना जाता है 

ईषत्सन्ध्यामतिक्रान्त: किंचिदुदिद्भन्नतारक:। 
विजयो नाम कालोùयं सर्वकार्यार्थ सिद्धये।।

श्रेष्ठ ज्योतिषीय योग -
वर्ष के उन तीन मुहूर्र्तो में इसकी गणना होती है, जो बहुत प्रभावी और अचूक कहे गए हैं। अन्य मुहूर्त हैं कार्तिक और चैत्र की प्रतिपदा। इस दिन चंद्रमा और अन्य तारादि भले ही बेतरतीब हों, किंतु अपने नाम के अनुसार यह फल देता ही है। यह सीमातिक्रमण या परभूमि पर विजय का दिवस कहा गया है। विश्वरूप निर्णय नामक ग्रंथ में यह कहा है 

आश्विनस्य सिते पक्ष सीमातिक्रमणोत्सव:। विजयनाम मुहूतोùयं कर्तव्यं विजये क्षणो। नवम्यां सहिता कार्या दशम्याश्वयुज: सिता। एकादश्या युता जातु न कार्या जयकांक्षिभि:।। इस दिन संपूर्ण दिन-रात रवियोग रहता है, जो अशुभ योगों का क्षय कर देता है। इस दिन सरस्वती पूजन की परंपरा रही है। राजमार्तण्ड नामक ग्रंथ में भोजराज ने दशमी को देवी पूजनादि के बाद विसर्जन की रस्म की आज्ञा दी है। 

कुल आयुध व वाहन की पूजा का अवसर -
ज्योतिष के मुहूर्त और संहिता ग्रंथों में आया है कि इस दिन व्याक्ति को अपने-अपने कुल के आयुध, कार्योपयोगी यंत्र-साधनों का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। वाहन का पूजन भी करें। वर्तमान में अपने दो, तीन और चारपहिया वाहनों का पूजन-अर्चन किया जा सकता है। नवीन वस्त्राभूषण धारण करने चाहिए। युवाओं और बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अध्ययन का आरंभ करना चाहिए। यह तैयारी सकारात्मक और पुष्टिप्रद परिणाम देने वाली सिद्ध होगी 
एवं कृते विधाने च तुष्टिदे पुष्टिदे नृणाम्। सर्वपौरजनै: सरध विजयं प्राप्नुयान्नृप:।।

वृक्षों को सम्मान दें व पूजन करें - 
दशहरे को वृक्षपूजन का अवसर भी माना गया है। महाभारत के अनुसार पांडु पुत्रों ने इस दिन शमी या खेजड़ी के पेड़ में अपने सभी शस्त्रास्त्र छुपाए थे। बाद में वे विराट या वैराट जनपद में गुप्त रहे और विजय के दूरगामी लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहे। शमी का पूजन बाद में क्षत्रिय समुदाय द्वारा किया जाता रहा। यह पूजन नेतृत्व गुणों व शक्ति के विकास और उन्नति में बहुत प्रशस्त माना जाता है। शमी को बहुत पवित्र और बहुत गुणदायक पेड़ माना गया है। आयुर्वेद में तो इसके गुणधर्म आए ही हैं, धर्मसिंधु व निर्णयसिंधु में शमी के पूजन का वर्णन आया है। अथर्ववेद में भी मरुभूमि में पाए जाने वाले और इच्छित फल देने वाले शमी वृक्ष का गुणगान कई स्थलों पर हुआ है। आधुनिक भूवैज्ञानिकों के अध्ययन से पता चला है कि यह वृक्ष भूमिगत हलचलों की भविष्यवाणी की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
इसलिए इसे ‘निमित्त द्रुम’ भी माना गया है। राजस्थान में इस पेड़ के नाम पर गांव है, जहां शमी की रक्षा के लिए अमृतादेवी द्वारा सैकड़ों विश्नोई लोगों के साथ बलिदान देने का प्रसंग जुड़ा है। इसी प्रकार इस वृक्ष के आधार पर जांगल मरुभूमि में भूमिगत जलस्रोत को तलाशा जाता रहा है, दकार्गल जैसे विषय ग्रंथों में इस पर विशेष चर्चा की गई है। दशहरे पर शमी के पूजन के मूल में इस पेड़ की रक्षा का भाव जुड़ा हुआ है। यदि कहीं शमी नहीं हो तो अश्मंतक पेड़ की पूजा भी की जा सकती है। स्कंदपुराण के अनुसार इस अवसर पर मंत्र पढ़ा जाना चाहिए : शमी शमयते पापं शमी शत्रु विनाशिनी। धरि˜यजरुनबाणानां रामस्य प्रियवादिनी।। करिष्यमाणां या यात्रा यथाकालं सुखं मया। तत्र निर्विघ्नकर्त् त्वं भव श्रीरामपूजिते।।


  
मेरी और से आप सभी लोगो को दशहरे की बहुत बहुत शुभकामनाएं........................................................


बोलो प्रभु श्री रामचंद्र जी की जय..............................................................................................




दीपक  

Saturday, 16 October 2010

नवरात्री में ऐसा करें


शारदीय नवरात्रि में शक्ति पूजा का महत्व है। शक्ति के अलग-अलग रुपों में महालक्ष्मी की धन-वैभव, महासरस्वती की ज्ञान और विद्या और महादुर्गा की बल और शक्ति प्राप्ति के लिए उपासना का महत्व है। दुनिया में ताकत का पैमाना धन भी होता है।
इस बार नवरात्रि का आरंभ शुक्रवार से हो रहा है। इस दिन देवी की पूजा महत्व है। शुक्रवार के दिन विशेष रुप से महालक्ष्मी पूजा बहुत ही धन-वैभव देने वाली और दरिद्रता का अंत करने वाली मानी जाती है। पुराणों में भी माता लक्ष्मी को धन, सुख, सफलता और समृद्धि देने वाली बताया गया है।
नवरात्रि में देवी पूजा के विशेष काल में हर भक्त देवी के अनेक रुपों की उपासना के अलावा महालक्ष्मी की पूजा कर अपने व्यवसाय से अधिक धनलाभ, नौकरी में तरक्की और परिवार में आर्थिक समृद्धि की कामना पूरी कर सकता है। जो भक्त नौकरी या व्यवसाय के कारण अधिक समय न दे पाएं उनके लिए यहां बताई जा रही है लक्ष्मी के धनलक्ष्मी रुप की पूजा की सरल विधि। इस विधि से लक्ष्मी पूजा नवरात्रि के नौ रातों के अलावा हर शुक्रवार को कर धन की कामना पूरी कर सकते हैं -


- आलस्य छोड़कर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। क्योंकि माना जाता है कि लक्ष्मी कर्म से प्रसन्न होती है, आलस्य से रुठ जाती है। 

- घर के देवालय में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चावल या अन्न रखकर उस पर जल से भरा मिट्टी का कलश रखें। यह कलश सोने, चांदी, तांबा, पीतल का होने पर भी शुभ होता है।
- इस कलश में एक सिक्का, फूल, अक्षत यानि चावल के दाने, पान के पत्ते और सुपारी डालें।
- कलश को आम के पत्तों के साथ चावल के दाने से भरा एक मिट्टी का दीपक रखकर ढांक दें। जल से भरा कलश विघ्रविनाशक गणेश का आवाहन होता है। क्योंकि वह जल के देवता भी माने जाते हैं।
- चौकी पर कलश के पास हल्दी का कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति और उनकी दायीं ओर भगवान गणेश की प्रतिमा बैठाएं।
- पूजा में कलश बांई ओर और दीपक दाईं ओर रखना चाहिए।
- माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें।
- इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें।
- इसके बाद माता लक्ष्मी की पंचोपचार यानि धूप, दीप, गंध, फूल से पूजा कर नैवेद्य या भोग लगाएं।
- आरती के समय घी के पांच दीपक लगाएं। इसके बाद पूरे परिवार के सदस्यों के साथ पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ माता लक्ष्मी की आरती करें।
- आरती के बाद जानकारी होने पर श्रीसूक्त का पाठ भी करें।
- अंत में पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए माता लक्ष्मी से क्षमा मांगे और उनसे परिवार से हर कलह और दरिद्रता को दूर कर सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करें।
- आरती के बाद अपने घर के द्वार और आस-पास पूरी नवरात्रि या हर शुक्रवार को दीप जलाएं।
विशेष रुप से नवरात्रि में महालक्ष्मी की ऐसी पूजा परिवार में जरुर सुख-संपन्नता लाती है।

 
दीपक

Friday, 15 October 2010

हेल्थ टिप्स




कुछ सावधानिया - आज कल ड्रॉपलेट इनफेकशन से जुखाम बहुत ज्यादा फेल रहा है |  इनफेकशन से जितना हो सके बचें | साफ सफाई से इनफेकशन की फैलने की संभावना कम होती है | हमेशा हेअथी खाना खाएं, जिनमे सब्जी, सलाद, तरल, फाईबर आदि हों | ऐसे लोगो से दूर रहें जिनको इनफेकशन हो गया हो | 

दीपक

Thursday, 14 October 2010

हेल्थ टिप्स

सावधानियां -
जुकाम से बचने के लिए ये उपाय पर भी ध्यान दे :-
१) अचानक ठंडे से गर्म और गर्म से ठंडे वातावरण में जाने से बचाना चाहिए |
२) व्यायाम या खेलने के बाद तुरंत ठंडा पानी नहीं लेना चाहिए |
३) धुलभरे वातावरण से जितना दूरी रहे उतना अच्छा होता है |
४) खाना खाने से पहले और बाद व पोट्टी के बाद में हाथ धोना चाहिए | सफाई का ध्यान भी बहुत जरुरी है |  
५) पौष्टिक डाइट लेना चाहिए |
६) तरल चीजो का इस्तेमाल अच्छा होता है जैसे - दूध, जूस, मट्टा, लस्सी आदि |
७) ऐसी फल व सब्जी ले जिनमे फाइबर होता है जैसे - संतरा, मौसम्मी आदि 
८) इन्फेक्टेड लोगो से दूर रहें |
९) अपनी मर्जी से दवाई ना ले | किसी भी दवाई लेने से डॉक्टर की सलाह जरुर लें | 

दीपक

Wednesday, 13 October 2010

किशोर कुमार की पुण्यतिथि पर विशेष

शुरुआती दौर -  
शुरू में किशोर कुमार को एस डी बर्मन और अन्य संगीत कारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फिल्म "फंटूस" में दुखी मन मेरे गीत अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। इसके बाद एसडी बर्मन ने किशोर कुमार को अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया। आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने 'मुनीम जी', 'टैक्सी ड्राइवर', 'फंटूश', 'नौ दो ग्यारह', 'पेइंग गेस्ट', 'गाईड', 'ज्वेल थीफ़', 'प्रेमपुजारी', 'तेरे मेरे सपने' जैसी फिल्मों में अपनी जादुई आवाज से फिल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 574 से अधिक गाने गाए। किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फिल्मों के लिए बी गीत गाए। किशोर कुमार को आठ फिल्म फेयर अवार्ड मिले, उनको पहला फिल्म फेयर अवार्ड 1969 में अराधना फिल्म के गीत रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना के लिए दिया गया था। किशोर कुमार की खासियत यह थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज ऐसी रची बसी मानो किशोर खुद उनके अंदर मौजूद हों। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फिल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे।




आपातकाल में -

1975 में देश में आपातकाल के समय एक सरकारी समारोह में भाग लेने से साफ मना कर देने पर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ला ने किशोर कुमार के गीतों के आकाशवाणी से प्रसारित किए जाने पर पर रोक लगा दी थी और किशोर कुमार के घर पर आयकर के छापे भी डाले गए। मगर किशोर कुमार ने आपात काल का समर्थन नहीं किया। यह दुर्भाग्य और शर्म की बात है कि किशोर कुमार द्वारा बनाई गई कई फिल्में आयकर विभाग ने जप्त कर रखी है और लावारिस स्थिति में वहाँ अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रही है।


संघर्ष - 
किशोर कुमार ने भारतीय सिनेमा के उस स्वर्ण काल में संघर्ष शुरु किया था जब उनके भाई अशोक कुमार एक सफल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, बलराज साहनी, गुरुदत्त, और रहमान जैसे कलाकारों के साथ ही पार्श्व गायन में मोहम्मद रफी, मुकेश, तलत महमूद और मन्नाडे जैसे दिग्गज गायकों का बोलबाला था। किशोर कुमार की पहली शादी रुमा देवी के से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई और इस के बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया। उस दौर में दिलीप कुमार जैसे सफल और शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचे अभिनेता जहाँ मधुबाला जैसी रूप सुंदरी का दिल नहीं जीत पाए वही मधुबाला किशोर कुमार की दूसरी पत्नी बनी। 1961 में बनी फिल्म "झुमरु" में दोनों एक साथ आए। यह फिल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी और उन्होंने खुद ही इसका निर्देशन किया था। इस के बाद दोनों ने 1962 में बनी फिल्म "हाफ टिकट" में एक साथ काम किया जिस में किशोर कुमार ने यादगार कॉमेडी कर अपनी एक अलग छबि पेश की। १९७६ में उन्होंने योगिता बाली से शादी की मगर इन दोनों का यह साथ मात्र कुछ महीनों का ही रहा। इसके बाद योगिता बाली ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। १९८० में किशोर कुमार ने चौथी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं।

आज किशोर दा की पुण्यतिथि है.................................मेरी तरफ से उनको भाव भीनी श्रद्धांजलि...................
नीचे मेरे पसंदीता गाने जो में अक्सर सुनता रहता हूँ......................................................................


१) 



२) 



दीपक 
        

Tuesday, 12 October 2010

अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर विशेष


कैरियर

आरंभिक कार्य १९६९ -१९७२

बच्चने ने फिल्मों में अपने कैरियर की शुरूआत ख्वाज़ा अहमद अब्बास (Khwaja Ahmad Abbas).के निर्देशन में बनीसात हिंदुस्तानी, के सात कलाकारों में एक कलाकार के रूप में की। उत्पल दत्तमधु और जलाल आगा जैसे कलाकारों के सामने अभिनय फ़िल्म ने वित्तीय सफ़लता प्राप्त नहीं की पर बच्चन ने अपनी पहली फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारमें सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का पुरूस्कार जीता. इस सफल व्यावसायिक और समीक्षित फिल्म के बाद उनकी एक और आनंद ( १९७१ ) नामक फिल्म आई जिसमें उन्होंने उस समय के लोकप्रिय कलाकार राजेश खन्ना जैसे कलाकार के साथ काम किया था। डॉ; भास्कर बनर्जी की भूमिका करने वाले बच्चन ने कैंसर के एक रोगी का उपचार किया जिसमें उनके पास जीवन के प्रति वेबकूफी और देश की वास्तविकता के प्रति उसके द़ष्टिकोण के कारण उसे अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद अमिताभ ने (१९७१) में बनी परवाना में एक मायूस प्रेमी की भूमिका निभाई जिसमें इसके साथी कलाकारों में नवीन निश्चलयोगिता बाली और ओम प्रकाश थे और इन्हें खलनायक के रूप में फिल्माना अपने आप में बहुत कम देखने को मिलने जैसी भूमिका थी। इसके बाद उनकी कई फिल्में आई जो बॉक्स ऑफिस पर उतनी सफल नहीं हो पाई जिनमें रेशमा और शेरा (१९७१) भी शामिल थी और उन दिनों इन्होंने गुड्डी फिल्म में मेहमान कलाकार की भूमिका निभाई थी। इनके साथ इनकी पत्नी जया भादुड़ी के साथ धर्मेन्द्र भी थे। अपनी जबरदस्त आवाज के लिए जाने जाने वाले अमिताभ बच्चन ने अपने कैरियर के प्रारंभ में ही उन्होंने बावर्ची फिल्म के कुछ भाग का बाद में वर्णन किया। १९७२ में निर्देशित एस. रामनाथन द्वारा निर्देशित कामेडी फिल्म बॉम्बे टू गोवा में भूमिका निभाई। इन्होंने अरूणा ईरानीमहमूदअनवर अली और नासिर हुसैन जैसे कलाकारों के साथ कार्य किया है। अपने संघर्ष के दिनों में वे ७ (सात) वर्ष की लंबी अवधि तक अभिनेता, निर्देशक एवं हास्य अभिनय के बादशाह महमूद साहब के घर में रूके रहे।

स्टारडम की ओर उत्थान १९७३ -१९८३

१९७३ में जब प्रकाश मेहरा ने इन्हें अपनी फिल्म जंजीर (१९७३) में इंस्पेक्टर विजय खन्ना की भूमिका के रूप में अवसर दिया तो यहीं से इनके कैरियर में प्रगति का नया मोड़ आया। यह फ़िल्म इससे पूर्व के रोमांस भरे सार के प्रति कटाक्ष था जिसने अमिताभ बच्चन को एक नई भूमिका एंग्री यंगमैन में देखा जो बालीवुड के एक्शन हीरो बन गए थे, यही वह प्रतिष्‍ठा थी जिसे बाद में इन्हें अपनी फिल्मों में हासिल करते हुए उसका अनुसरण करना था। बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाने वाले एक जबरदस्त अभिनेता के रूप में यह उनकी पहली फिल्म थी, जिसने उन्हें सर्वश्रेष्‍ठ पुरूष कलाकार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत करवाया। १९७३ ही वह साल था जब इन्होंने ३ जून को जया से विवाह किया और इसी समय ये दोनों न केवल जंजीर में बल्कि एक साथ कई फिल्मों में दिखाई दिए जैसे अभिमान जो इनकी शादी के केवल एक मास बाद ही रिलीज हो गई थी। बाद में हृषिकेश मुखर्जी के निदेर्शन तथा बीरेश चटर्जी द्वारा लिखित नमक हराम फिल्म में विक्रम की भूमिका मिली जिसमें दोस्ती के सार को प्रदर्शित किया गया था। राजेश खन्ना और रेखा के विपरीत इनकी सहायक भूमिका में इन्हें बेहद सराहा गया और इन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया 
गया।
१९७९ में पहली बार अमिताभ को मि० नटवरलाला नामक फिल्म के लिए अपनी सहयोगी कलाकार रेखा के साथ काम करते हुए गीत गाने के लिए अपनी आवाज का उपयोग करना पड़ा.फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पुरुष पार्श्‍वगायक का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार मिला। १९७९ में इन्हें काला पत्थर (१९७९) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया और इसके बाद १९८० में राजखोसला द्वारा निर्देशित फिल्म दोस्ताना में दोबारा नामित किया गया जिसमें इनके सह कलाकार शत्रुघन सिन्हां और जीनत अमान थीं। दोस्ताना वर्ष १९८० की शीर्ष फिल्म साबित हुई।१९८१ में इन्होंने यश चोपड़ा की नाटकीयता फ़िल्मसिलसिला में काम किया, जिसमें इनकी सह कलाकार के रूप में इनकी पत्नी जया और अफ़वाहों में इनकी प्रेमिका रेखा थीं। इस युग की दूसरी फिल्मों में राम बलराम(१९८०), शान (१९८०), लावारिस (१९८१) और शक्ति (१९८२) जैसी फिल्‍में शामिल थीं, जिन्‍होंने दिलीप कुमार जैसे अभिनेता से इनकी तुलना की जाने लगी थीं।



कल उनका जन्मदिन था............................


मेरी तरफ से भी उन्हें जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई..................................................


मेरे पसंद के गाने जो में अक्सर सुनता हूँ..................................................


इन गानों को सुनियें, देखियें, और एन्जॉय कीजिये.............................


१)      



२) 


दीपक