कैरियर
आरंभिक कार्य १९६९ -१९७२
बच्चने ने फिल्मों में अपने कैरियर की शुरूआत ख्वाज़ा अहमद अब्बास (Khwaja Ahmad Abbas).के निर्देशन में बनीसात हिंदुस्तानी, के सात कलाकारों में एक कलाकार के रूप में की। उत्पल दत्त, मधु और जलाल आगा जैसे कलाकारों के सामने अभिनय फ़िल्म ने वित्तीय सफ़लता प्राप्त नहीं की पर बच्चन ने अपनी पहली फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारमें सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का पुरूस्कार जीता. इस सफल व्यावसायिक और समीक्षित फिल्म के बाद उनकी एक और आनंद ( १९७१ ) नामक फिल्म आई जिसमें उन्होंने उस समय के लोकप्रिय कलाकार राजेश खन्ना जैसे कलाकार के साथ काम किया था। डॉ; भास्कर बनर्जी की भूमिका करने वाले बच्चन ने कैंसर के एक रोगी का उपचार किया जिसमें उनके पास जीवन के प्रति वेबकूफी और देश की वास्तविकता के प्रति उसके द़ष्टिकोण के कारण उसे अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद अमिताभ ने (१९७१) में बनी परवाना में एक मायूस प्रेमी की भूमिका निभाई जिसमें इसके साथी कलाकारों में नवीन निश्चल, योगिता बाली और ओम प्रकाश थे और इन्हें खलनायक के रूप में फिल्माना अपने आप में बहुत कम देखने को मिलने जैसी भूमिका थी। इसके बाद उनकी कई फिल्में आई जो बॉक्स ऑफिस पर उतनी सफल नहीं हो पाई जिनमें रेशमा और शेरा (१९७१) भी शामिल थी और उन दिनों इन्होंने गुड्डी फिल्म में मेहमान कलाकार की भूमिका निभाई थी। इनके साथ इनकी पत्नी जया भादुड़ी के साथ धर्मेन्द्र भी थे। अपनी जबरदस्त आवाज के लिए जाने जाने वाले अमिताभ बच्चन ने अपने कैरियर के प्रारंभ में ही उन्होंने बावर्ची फिल्म के कुछ भाग का बाद में वर्णन किया। १९७२ में निर्देशित एस. रामनाथन द्वारा निर्देशित कामेडी फिल्म बॉम्बे टू गोवा में भूमिका निभाई। इन्होंने अरूणा ईरानी, महमूद, अनवर अली और नासिर हुसैन जैसे कलाकारों के साथ कार्य किया है। अपने संघर्ष के दिनों में वे ७ (सात) वर्ष की लंबी अवधि तक अभिनेता, निर्देशक एवं हास्य अभिनय के बादशाह महमूद साहब के घर में रूके रहे।स्टारडम की ओर उत्थान १९७३ -१९८३
१९७३ में जब प्रकाश मेहरा ने इन्हें अपनी फिल्म जंजीर (१९७३) में इंस्पेक्टर विजय खन्ना की भूमिका के रूप में अवसर दिया तो यहीं से इनके कैरियर में प्रगति का नया मोड़ आया। यह फ़िल्म इससे पूर्व के रोमांस भरे सार के प्रति कटाक्ष था जिसने अमिताभ बच्चन को एक नई भूमिका एंग्री यंगमैन में देखा जो बालीवुड के एक्शन हीरो बन गए थे, यही वह प्रतिष्ठा थी जिसे बाद में इन्हें अपनी फिल्मों में हासिल करते हुए उसका अनुसरण करना था। बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाने वाले एक जबरदस्त अभिनेता के रूप में यह उनकी पहली फिल्म थी, जिसने उन्हें सर्वश्रेष्ठ पुरूष कलाकार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत करवाया। १९७३ ही वह साल था जब इन्होंने ३ जून को जया से विवाह किया और इसी समय ये दोनों न केवल जंजीर में बल्कि एक साथ कई फिल्मों में दिखाई दिए जैसे अभिमान जो इनकी शादी के केवल एक मास बाद ही रिलीज हो गई थी। बाद में हृषिकेश मुखर्जी के निदेर्शन तथा बीरेश चटर्जी द्वारा लिखित नमक हराम फिल्म में विक्रम की भूमिका मिली जिसमें दोस्ती के सार को प्रदर्शित किया गया था। राजेश खन्ना और रेखा के विपरीत इनकी सहायक भूमिका में इन्हें बेहद सराहा गया और इन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया।१९७९ में पहली बार अमिताभ को मि० नटवरलाला नामक फिल्म के लिए अपनी सहयोगी कलाकार रेखा के साथ काम करते हुए गीत गाने के लिए अपनी आवाज का उपयोग करना पड़ा.फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पुरुष पार्श्वगायक का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार मिला। १९७९ में इन्हें काला पत्थर (१९७९) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया और इसके बाद १९८० में राजखोसला द्वारा निर्देशित फिल्म दोस्ताना में दोबारा नामित किया गया जिसमें इनके सह कलाकार शत्रुघन सिन्हां और जीनत अमान थीं। दोस्ताना वर्ष १९८० की शीर्ष फिल्म साबित हुई।१९८१ में इन्होंने यश चोपड़ा की नाटकीयता फ़िल्मसिलसिला में काम किया, जिसमें इनकी सह कलाकार के रूप में इनकी पत्नी जया और अफ़वाहों में इनकी प्रेमिका रेखा थीं। इस युग की दूसरी फिल्मों में राम बलराम(१९८०), शान (१९८०), लावारिस (१९८१) और शक्ति (१९८२) जैसी फिल्में शामिल थीं, जिन्होंने दिलीप कुमार जैसे अभिनेता से इनकी तुलना की जाने लगी थीं।
कल उनका जन्मदिन था............................
मेरी तरफ से भी उन्हें जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई..................................................
मेरे पसंद के गाने जो में अक्सर सुनता हूँ..................................................
इन गानों को सुनियें, देखियें, और एन्जॉय कीजिये.............................
१)
२)
दीपक
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