Saturday 16 October, 2010

नवरात्री में ऐसा करें


शारदीय नवरात्रि में शक्ति पूजा का महत्व है। शक्ति के अलग-अलग रुपों में महालक्ष्मी की धन-वैभव, महासरस्वती की ज्ञान और विद्या और महादुर्गा की बल और शक्ति प्राप्ति के लिए उपासना का महत्व है। दुनिया में ताकत का पैमाना धन भी होता है।
इस बार नवरात्रि का आरंभ शुक्रवार से हो रहा है। इस दिन देवी की पूजा महत्व है। शुक्रवार के दिन विशेष रुप से महालक्ष्मी पूजा बहुत ही धन-वैभव देने वाली और दरिद्रता का अंत करने वाली मानी जाती है। पुराणों में भी माता लक्ष्मी को धन, सुख, सफलता और समृद्धि देने वाली बताया गया है।
नवरात्रि में देवी पूजा के विशेष काल में हर भक्त देवी के अनेक रुपों की उपासना के अलावा महालक्ष्मी की पूजा कर अपने व्यवसाय से अधिक धनलाभ, नौकरी में तरक्की और परिवार में आर्थिक समृद्धि की कामना पूरी कर सकता है। जो भक्त नौकरी या व्यवसाय के कारण अधिक समय न दे पाएं उनके लिए यहां बताई जा रही है लक्ष्मी के धनलक्ष्मी रुप की पूजा की सरल विधि। इस विधि से लक्ष्मी पूजा नवरात्रि के नौ रातों के अलावा हर शुक्रवार को कर धन की कामना पूरी कर सकते हैं -


- आलस्य छोड़कर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। क्योंकि माना जाता है कि लक्ष्मी कर्म से प्रसन्न होती है, आलस्य से रुठ जाती है। 

- घर के देवालय में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चावल या अन्न रखकर उस पर जल से भरा मिट्टी का कलश रखें। यह कलश सोने, चांदी, तांबा, पीतल का होने पर भी शुभ होता है।
- इस कलश में एक सिक्का, फूल, अक्षत यानि चावल के दाने, पान के पत्ते और सुपारी डालें।
- कलश को आम के पत्तों के साथ चावल के दाने से भरा एक मिट्टी का दीपक रखकर ढांक दें। जल से भरा कलश विघ्रविनाशक गणेश का आवाहन होता है। क्योंकि वह जल के देवता भी माने जाते हैं।
- चौकी पर कलश के पास हल्दी का कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति और उनकी दायीं ओर भगवान गणेश की प्रतिमा बैठाएं।
- पूजा में कलश बांई ओर और दीपक दाईं ओर रखना चाहिए।
- माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें।
- इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें।
- इसके बाद माता लक्ष्मी की पंचोपचार यानि धूप, दीप, गंध, फूल से पूजा कर नैवेद्य या भोग लगाएं।
- आरती के समय घी के पांच दीपक लगाएं। इसके बाद पूरे परिवार के सदस्यों के साथ पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ माता लक्ष्मी की आरती करें।
- आरती के बाद जानकारी होने पर श्रीसूक्त का पाठ भी करें।
- अंत में पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए माता लक्ष्मी से क्षमा मांगे और उनसे परिवार से हर कलह और दरिद्रता को दूर कर सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करें।
- आरती के बाद अपने घर के द्वार और आस-पास पूरी नवरात्रि या हर शुक्रवार को दीप जलाएं।
विशेष रुप से नवरात्रि में महालक्ष्मी की ऐसी पूजा परिवार में जरुर सुख-संपन्नता लाती है।

 
दीपक

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